क्या आपने कभी वृंदावन की कुंजों में विचरण करने की कल्पना की है? Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics वह सेतु है जो आपको इस दिव्य लीला भूमि से जोड़ता है। यह आरती श्याम सुंदर की उस मोहक छवि का वर्णन करती है, जो गोपियों के मन में बसी हुई है। Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics की हर पंक्ति में छिपा है वह रहस्य, जो भक्त को परमानंद की अनुभूति कराता है।
Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
Anuradha Paudwal Aarti Kunj Bihari Ki Video
इस आरती को समझने और आत्मसात करने के बाद, हम पाते हैं कि हमारा हृदय भी एक कुंज बन गया है, जहां नित्य श्रीकृष्ण विराजमान हैं। Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics ने हमारे भीतर एक ऐसा दीप जला दिया है, जो कभी बुझेगा नहीं, और हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
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