Wednesday, October 30, 2024
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श्री बजरंग बाण का पाठ| Shri Bajrang Baan Lyrics in Hindi

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बजरंग बाण: (Shri Bajrang Baan) भगवान हनुमान की शक्ति का अद्वितीय स्तोत्र

बजरंग बाण भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक अद्भुत स्तोत्र है। इसे पाठ करने से भक्तों को अद्भुत शक्ति और साहस मिलता है। बजरंग बाण का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा, भय या नकारात्मकता का सामना कर रहे हैं।

श्री बजरंग बाण का पाठ| Shri Bajrang Baan Lyrics in Hindi

श्री बजरंग बाण भगवान हनुमान की स्तुति का एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ संकटों से मुक्ति और अद्भुत शक्ति प्रदान करता है। यहाँ श्री बजरंग बाण के संस्कृत/हिन्दी शब्द और उनके अर्थ दिए जा रहे हैं।

श्री बजरंग बाण

॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान, वीर बलवंता।
शंकरसुवन, केसरीनंदन ता॥

तेज प्रताप महा जगवंदन।
विद्यावान गुनी अति चातुर॥

राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया॥

राम लखन सीता मनबसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा॥

बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर सँहारे॥

रामचंद्र के काज सँवारे।
लाय सजीवन लखन जियाये॥

श्री रघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई॥

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं॥

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा॥

नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते॥

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा॥

राम मिलाय राज पद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना॥

लंकेश्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू॥

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं॥

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते॥

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे॥

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना॥

तुम रक्षक काहू को डरना।
आपन तेज सम्हारो आपै॥

तीनों लोक हांक ते कांपै।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै॥

महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरै सब पीरा॥

जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकट ते हनुमान छुड़ावै॥

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा॥

तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै॥

सोई अमित जीवन फल पावै।
चारों जुग परताप तुम्हारा॥

है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे॥

असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता॥

अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा॥

सदा रहो रघुपति के दासा।
तुम्हरे भजन राम को पावै॥

जनम जनम के दुख बिसरावै।
अंत काल रघुवरपुर जाई॥

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई॥

हनुमत सेई सर्ब सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा॥

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जय जय जय हनुमान गोसाईं॥

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई॥

छूटहि बंदि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा॥

होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा॥

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।

श्री बजरंग बाण का पाठ अर्थ

दोहा:

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
(भगवान हनुमान उन भक्तों के सभी कार्यों को सिद्ध करते हैं, जो प्रेम और श्रद्धा के साथ उनकी विनती करते हैं।)

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
(हनुमान जी उन भक्तों के सभी शुभ कार्यों को पूरा करते हैं।)

चौपाई:

जय हनुमान, वीर बलवंता।
(हे हनुमान, आप वीर और अत्यंत बलवान हैं।)

शंकरसुवन, केसरीनंदन ता॥
(आप शिव के अवतार और केसरी के पुत्र हैं।)

तेज प्रताप महा जगवंदन।
(आपके तेज और प्रताप की महिमा से पूरा जगत वंदना करता है।)

विद्यावान गुनी अति चातुर॥
(आप विद्वान, गुणी और अत्यंत चतुर हैं।)

राम काज करिबे को आतुर।
(आप सदा श्रीराम के कार्य करने को तत्पर रहते हैं।)

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया॥
(आप प्रभु श्रीराम के चरित्र सुनने में आनंदित होते हैं।)

राम लखन सीता मनबसिया।
(श्रीराम, लक्ष्मण और सीता आपके मन में बसे हैं।)

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
(आपने सूक्ष्म रूप धारण कर सीता माता को दिखाया।)

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
(आपने विकट रूप धारण कर लंका को जलाया।)

भीम रूप धरि असुर सँहारे।
(आपने भीम रूप धारण कर असुरों का संहार किया।)

रामचंद्र के काज सँवारे॥
(आपने श्रीरामचंद्र के कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न किया।)

लाय सजीवन लखन जियाये।
(आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया।)

श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥
(श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया।)

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
(रघुपति ने आपकी बहुत प्रशंसा की।)

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
(आप मुझे भरत के समान प्रिय हो।)

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
(सहस्त्र मुख से भी आपके यश का गुणगान नहीं किया जा सकता।)

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
(ऐसा कहकर श्रीपति ने आपको अपने गले से लगा लिया।)

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
(सनकादि, ब्रह्मा आदि मुनि भी आपकी महिमा का वर्णन करते हैं।)

नारद सारद सहित अहीसा॥
(नारद, सारदा और शेषनाग भी आपकी महिमा का गान करते हैं।)

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
(यमराज, कुबेर और सभी दिग्पाल आपकी महिमा का गुणगान करते हैं।)

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
(कवि और विद्वान आपकी महिमा का वर्णन करने में असमर्थ हैं।)

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
(आपने सुग्रीव पर उपकार किया।)

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
(उन्हें श्रीराम से मिलाकर राजपद दिलाया।)

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
(विभीषण ने आपके मंत्र को माना।)

लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
(वे लंकेश्वर बने, यह सब जग जानता है।)

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
(आपने हजार योजन दूरी पर स्थित सूर्य को निगल लिया।)

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
(उसे मधुर फल समझकर निगल लिया।)

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
(प्रभु श्रीराम की मुद्रिका मुख में रखकर।)

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
(समुद्र को लांघ गये, यह अचरज नहीं।)

दुर्गम काज जगत के जेते।
(जगत के सभी दुर्गम कार्य।)

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
(आपकी कृपा से सुगम हो जाते हैं।)

राम दुआरे तुम रखवारे।
(आप श्रीराम के द्वार के रक्षक हैं।)

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
(आपकी अनुमति के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता।)

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
(आपकी शरण में सब सुख प्राप्त करते हैं।)

तुम रक्षक काहू को डरना॥
(आप रक्षक हैं, फिर किसी को क्यों डरना।)

आपन तेज सम्हारो आपै।
(आप अपने तेज को नियंत्रित रखते हैं।)

तीनों लोक हांक ते कांपै॥
(तीनों लोक आपकी गर्जना से कांपते हैं।)

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
(भूत और पिशाच आपके निकट नहीं आ सकते।)

महाबीर जब नाम सुनावै॥
(महाबीर का नाम सुनते ही भाग जाते हैं।)

नासै रोग हरै सब पीरा।
(रोग और सभी पीड़ाएँ नष्ट हो जाती हैं।)

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
(जो निरंतर हनुमान का जाप करता है।)

संकट ते हनुमान छुड़ावै।
(हनुमान सभी संकटों से छुड़ाते हैं।)

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
(जो मन, कर्म और वचन से उनका ध्यान करते हैं।)

सब पर राम तपस्वी राजा।
(श्रीराम सभी तपस्वियों के राजा हैं।)

तिनके काज सकल तुम साजा॥
(उनके सभी कार्यों को आप संवारते हैं।)

और मनोरथ जो कोई लावै।
(जो कोई भी अन्य इच्छा लाता है।)

सोई अमित जीवन फल पावै॥
(वह अनंत जीवन फल प्राप्त करता है।)

चारों जुग परताप तुम्हारा।
(चारों युगों में आपका प्रताप प्रसिद्ध है।)

है परसिद्ध जगत उजियारा॥
(आपकी महिमा से जगत प्रकाशमान है।)

साधु संत के तुम रखवारे।
(आप साधु-संतों के रक्षक हैं।)

असुर निकंदन राम दुलारे॥
(असुरों के संहारक और राम के प्रिय हैं।)

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
(आप अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं।)

अस बर दीन जानकी माता॥
(ऐसा वर जानकी माता ने दिया।)

राम रसायन तुम्हरे पासा।
(श्रीराम का रसायन आपके पास है।)

सदा रहो रघुपति के दासा॥
(आप सदा रघुपति के दास रहते हैं।)

तुम्हरे भजन राम को पावै।
(आपके भजन से श्रीराम को प्राप्त किया जा सकता है।)

जनम जनम के दुख बिसरावै॥
(जनम-जनम के दुख दूर हो जाते हैं।)

अंत काल रघुवरपुर जाई।
(अंत समय में रघुवरपुर जाते हैं।)

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
(जहाँ जन्म लेकर हरिभक्त कहलाते हैं।)

और देवता चित्त न धरई।
(अन्य देवताओं में चित्त नहीं लगता।)

हनुमत सेई सर्ब सुख करई॥
(केवल हनुमान ही सभी सुख देते हैं।)

संकट कटै मिटै सब पीरा।
(संकट कट जाते हैं और सभी पीड़ाएँ मिट जाती हैं।)

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
(जो हनुमान बलवीर का स्मरण करते हैं।)

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
(जय जय जय हनुमान गोसाईं।)

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
(गुरुदेव की तरह कृपा करें।)

जो सत बार पाठ कर कोई।
(जो सौ बार पाठ करता है।)

छूटहि बंदि महा सुख होई॥
(बंदी से छूटकर महान सुख प्राप्त होता है।)

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
(जो हनुमान चालीसा पढ़ता है।)

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
(गौरीश्वर (शिव) साक्षी हैं कि उसे सिद्धि प्राप्त होती है।)

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
(तुलसीदास सदा हरि का चेरा है।)

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
(हे नाथ, मेरे हृदय में निवास करें।)

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण में क्या अंतर है?

हनुमान चालीसा और बजरंग बाण दोनों ही भगवान हनुमान की स्तुति में रचित हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और स्वरूप में अंतर है:

  • हनुमान चालीसा: यह 40 छंदों का भक्ति स्तोत्र है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है। हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान के गुणों और लीलाओं का वर्णन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, साहस, और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • बजरंग बाण: यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसमें हनुमान जी को संकटों और दुष्ट आत्माओं से रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती है। बजरंग बाण का पाठ अत्यधिक प्रभावी माना जाता है जब कोई गंभीर संकट या बाधा सामने हो।

बजरंग बाण कब पढ़ें?

बजरंग बाण का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को करना उत्तम माना जाता है क्योंकि ये दिन हनुमान जी को समर्पित होते हैं। इसके अलावा, जब भी आप किसी गंभीर संकट, भय या नकारात्मक ऊर्जा का सामना कर रहे हों, तब भी इसका पाठ कर सकते हैं।

बजरंग बाण कितना शक्तिशाली है?

बजरंग बाण को अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है। इसे पाठ करने से भक्तों को तुरंत प्रभावी परिणाम मिलते हैं। यह न केवल बाहरी संकटों से रक्षा करता है, बल्कि आंतरिक भय और मानसिक तनाव को भी दूर करता है। बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

बजरंग बाण का पाठ 1 दिन में कितनी बार करना चाहिए?

बजरंग बाण का पाठ एक दिन में एक या तीन बार करना पर्याप्त माना जाता है। अत्यधिक गंभीर स्थिति में, आप इसे सात बार भी पढ़ सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि पाठ के समय आपकी श्रद्धा और भक्ति पूर्ण होनी चाहिए।

क्या लड़कियों को बजरंग बाण पढ़ना चाहिए?

हाँ, लड़कियाँ भी बजरंग बाण का पाठ कर सकती हैं। हनुमान जी की भक्ति में लिंग का कोई भेदभाव नहीं है। सभी भक्त, चाहे वे स्त्री हों या पुरुष, हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, लड़कियाँ भी श्रद्धा और विश्वास के साथ बजरंग बाण का पाठ कर सकती हैं।

क्या बजरंग बाण रोज नहीं पढ़ना चाहिए?

बजरंग बाण का पाठ विशेष अवसरों और संकट के समय किया जाता है। इसे रोज पढ़ना आवश्यक नहीं है। हनुमान चालीसा और अन्य नियमित प्रार्थनाओं के साथ इसे सप्ताह में एक या दो बार पढ़ना पर्याप्त होता है। रोजाना के पाठ के लिए हनुमान चालीसा अधिक उपयुक्त मानी जाती है।

बजरंग बाण पाठ के लाभ (Bajrang Baan Path ke Labh)

  • ग्रंथों के अनुसार, बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को किसी प्रकार का रोग नहीं होता है। बजरंग बाण का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक दोष दूर होते हैं।
  • नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। रुके हुए काम सुचारू रूप से चलने लगते हैं और भविष्य में किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती है।
  • बजरंग बाण का पाठ शत्रु पराजय मंत्र के रूप में भी जाना जाता है। अर्थात, नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और शत्रुओं द्वारा रची गईं सभी साजिशें विफल हो जाती हैं।
  • बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति में साहस का संचार होता है, जिससे वह अपने भय पर विजय प्राप्त कर सकता है। बजरंग बाण का पाठ व्यक्ति को निडर बनाता है और समस्याओं से लड़ने के लिए उसकी बुद्धि को तेज करता है।
  • बजरंग बाण का पाठ करने से घर में नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है। बजरंग बाण का पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है, जिससे व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है।

निष्कर्ष

बजरंग बाण एक अद्वितीय और शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इसका नियमित और श्रद्धा पूर्वक पाठ जीवन की सभी समस्याओं और बाधाओं को दूर करने में सहायक है। हनुमान जी के प्रति सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ बजरंग बाण का पाठ करें और अपने जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का अनुभव करें। जय श्री राम!

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